हरिद्वार की गूंज (24*7)
(यतेन्द्र कुमार) हरिद्वार। पर्यावरण संरक्षण को जन-जागरूकता फैलाने और बच्चों को इसके प्रति जिम्मेदारी का भाव पैदा करने के उद्देश्य से स्फीहा (सोसाइटी फॉर ) ने आनलाइन अंतरराष्ट्रीय ड्राइंग-पेटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया। इस प्रतियोगिता में रुड़की-हरिद्वार रीजन से विभिन्न कैटेगरी में 68 स्कूली बच्चों ने इसमें आनलाइन भाग लिया। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसमें कुल 3200 स्कूली प्रतिभागियों ने भाग लिया। प्रतियोगिता के रुड़की-हरिद्वार रीजन के संयोजक प्रेमी भाई प्रेम प्रसाद सलूजा ने यह जानकारी देते हुए बताया कि प्रतियोगिता को कोविड-19 की गाइड लाइन का पालन करते हुए अंतराराष्ट्रीय मापदंड पर आयोजित कराया गया। प्रतियोगिता में बच्चों की बनायी गयी ड्राइंग व पेटिंग को तय समय के भीतर हाइ-रेजुलेशन पर स्कैन करते हुए स्फीहा की साइट पर अपलोड करने की अनिवार्यता थी। प्रेमी भाई प्रेम प्रसाद सलूजा ने बताया कि स्फीहा भारत में एक पंजीकृत गैर सरकारी संगठन है, जोकि पर्यावरण संरक्षण के लिए अपने सहयोगियों के साथ पूरी दुनिया जागरूकता फैलाने का काम कर रहा है। इसी के तहत स्फीहा 2006 से स्कूली बच्चों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ड्राइंग और पेंटिंग प्रतियोगिता आयोजन कराता आ रहा है। 8 नवंबर को यह इसका 15वां आयोजन था। बताया कि कोविड-19 महामारी के दौरान लॉकडाउन के समय प्राकृतिक तौर पर पर्यावरण संरक्षण का काम अपने-आप हुआ। पर्वत श्रृंखलाओं की छवियां, जो दशकों पहले दिखाई देती थीं, प्रदूषण में आई कमी के कारण फिर से दिखाई देने लगीं। नदी जल की गुणवत्ता बढ़ गयी, वायु गुणवत्ता में सुधार हुआ। इसी के मद्देनजर वर्षों से पर्यावरणीय स्वास्थ्य की हो रही अनदेखी से होने वाले नुकसान के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ड्राइंग-पेटिंग प्रतियोगिता का आयोजन कराया गया। सभी प्रतिभागियों को स्फीहा से भागीदारी का प्रमाण पत्र के साथ ही सभी श्रेणियों में विजयी के लिए 108 पुरस्कार रखे गये हैं। उन्होंने बताया कि प्रतियोगिता का आयोजन 4 महाद्वीपों में फैले दुनिया भर के 215 से अधिक स्थानों पर किया गया। आनलाइन इस प्रतियोगिता के हर चरण की निगरानी स्फीहा स्वयं सेवकों ने की। प्रतियोगिता में चार आयु वर्ग के बच्चों ने भाग लिया। श्रेणी-1 में कक्षा 5 तक के स्कूली बच्चों की थीम पर्यावरण बचाओ थी, जबकि श्रेणी-2 में कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों के लिए पृथ्वी को बचाने के लिए गो ग्रीन-सेव अर्थ की थीम थी। इसके अलावा श्रेणी-3 में कक्षा 9-12 तक के स्सकूली बच्चों के लिए थीम नवीनीकरण ऊर्जा का सरलीकरण थी। प्रतियोगिता संयोजक प्रेम प्रसाद सलूजा ने बताया कि श्रेणी-4 में उन बच्चों को रखा गया जो बहुत छोटे थे और जिन्होंने अभी-अभी पेंसिल पकड़ना सीखा था यानि नर्सरी आदि के छोटे बच्चे 3 से 4 वर्ष की आयु तक के जिनसे पर्यावरण से संबंधित कुछ भी बनाने की अपेक्षा की गयी थी। कहाकि यह इसलिए किया गया था कि बच्चों को शुरु से ही पर्यावरण संरक्षण के प्रेरित किया जा सके।
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