हरिद्वार की गूंज (24*7)
(रजत चौहान) हरिद्वार। विश्व हिन्दू परिषद के सेवा केंद्र वात्सल्य वाटिका बहादराबाद में राष्ट्रवादी विचारधारा के प्रवर्तक, उत्कृष्ट राष्ट्रभक्त एवं श्रीराम मंदिर आन्दोलन के नायक श्रद्धेय अशोक सिंघल की पुण्यतिथि पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें श्रद्धेय अशोक सिंघल को श्रद्धांजलि अर्पित कर उनके उत्कृष्ट जीवन चरित्र पर प्रकाश डाला गया। इस दौरान कार्यक्रम में वात्सल्य वाटिका के महाप्रबंधक प्रदीप मिश्रा ने कहा कि विश्व हिन्दू परिषद के माध्यम से समाज में चैतन्य निर्माण करने वाले आदरणीय अशोक सिंघल का प्रेरक व्यक्तित्व संघर्ष, त्याग व समर्पण का प्रतीक था। उन्होंने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन भारत के सांस्कृतिक स्वतंत्रता का आंदोलन है। श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण द्वारा इस आंदोलन का द्वितीय चरण पूर्ण होगा। परंतु यह आंदोलन अपनी पूर्णता को तब प्राप्त करेगा। जब संपूर्ण भारत श्रीराम के आदर्शों पर चलते हुए एक आध्यात्मिक राष्ट्र के रूप में प्रतिष्ठित होगा। जब इस राष्ट्र का प्रत्येक नागरिक अपने राष्ट्र की अस्मिता आदर्श एक मानबिंदु के प्रति जागरूक रहते हुए अपना आचरण करेगा। जब इस देश में कोई अशिक्षित वंचित, भूखा एवं लाचार नहीं होगा। जब इस देश के शौर्य एवं संगठन की अदभुत शक्ति को देखकर कोई परकीय भारत की तरफ वक्र दृष्टि से देखने का साहस नहीं करेगा। वात्सल्य वाटिका के महामंत्री अरुण सिंह ने कहा कि अशोक जी ने राष्ट्र की सुप्त पड़ी विराट चेतना को श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के माध्यम से झकझोर कर रख दिया। प्रांत, भाषा, क्षेत्र के भेदभाव सुप्त पड़ गए. कश्मीर से कन्याकुमारी तक संपूर्ण भारत एक स्वर में जयश्रीराम के नारों से गूंज उठा। एक विदेशी आक्रांता द्वारा राष्ट्र के आदर्श एवं उपास्य के जन्मस्थान को ध्वस्त कर बनाया गया ढांचा देखते ही देखते ध्वस्त हो गया। लेकिन इस आंदोलन की पूर्णाहुति अभी बाकी है, जो श्रीराम जन्मूभमि पर भव्य मंदिर निर्माण के साथ ही भारत के जन-जन में श्रीराम के चरित्र के आधान से पूर्ण होगी।
वात्सल्य वाटिका के सह प्रबंधक सुधांशु ने कहा कि सनातनी, आर्यसमाजी, सिख, बौद्ध और जैन सभी को अपनी-अपनी परंपराओं का पालन करते हुए परस्पर प्रेम और आदर से गूंथने का जो महान कार्य अशोक जी के द्वारा किया गया वह अद्वितीय है। समाज में कोई भी अछूता नहीं है। सब ही भारत माता के सहोदर पुत्र हैं, अशोक जी ने इसे साकार कर दिखाया। उनके जीवन के व्यक्तित्व का यह अदभुत कौशल था कि देश के शीर्षस्थ, संत महात्मा काशी के डोम राजा के घर सहभोज में सम्मिलित हुए थे। इस दौरान विश्व हिन्दू परिषद के सेवा केंद्र में अशोक सिंहल की पुण्यतिथि की स्मृति में खेल प्रतियोगिता, चित्र प्रदर्शनी तथा अशोक सिंहल के जीवन चरित्र और हिन्दू समाज को उनके योगदान के संबंध में निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में रमेश भाई ठक्कर, मनीष चौहान, नितिन गौतम, नंदलाल, चतरसेन, मानसी मिश्रा, दीपक धीमान, संगीता जी, नीता नैय्यर, दिलीप भाई, प्रदीप शर्मा, तरसेम चौहान, अनीता पुरी, डा. नरेश मोहन, अतुल शुक्ला, सुधीर रस्तोगी, एल.आर.गुप्ता, विनय सैनी, रोहित चौहान, बसंत चौहान, आदि प्रमुख व्यक्ति उपस्थित रहें।
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