हरिद्वार की गूंज (24*7)

(यतेंद्र कुमार) हरिद्वार। आज चित्रगुप्त पूजा का आयोजन चित्रगुप्त मन्दिर सेक्टर 4 भेल हरिद्वार में किया गया। यह हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की ​द्वितीया तिथि के दिन होता है। आज के दिन ही यम द्वितीया या भाई दूज भी होता है। चित्रगुप्त पूजा के दिन कलम दवात की पूजा करने का विधान है। देवताओं के लेखपाल चित्रगुप्त महाराज मनुष्यों के पाप-पुण्य का लेखा-जोखा रखते हैं। कार्तिक शुक्ल ​द्वितीया को नई कलम या लेखनी की पूजा चित्रगुप्त के प्रतिरूप के तौर पर होती है। कायस्थ या व्यापारी वर्ग के लिए चित्रगुप्त पूजा दिन से ही नववर्ष का अगाज माना जाता है। 

चित्रगुप्त ऐसे हुए कायस्थ पौराणिक कथाओं के अनुसार, सृष्टि के रचानाकार ब्रह्मा जी ने चित्रगुप्त को उत्पन्न किया था। उनकी काया से उत्पन्न होने के कारण चित्रगुप्त जी कायस्थ भी कहे जाते हैं। उनका विवाह यमी से हुआ है, इस वजह से वे यम के बहनोई भी कहे जाते हैं। यम और यमी सूर्य देवह की जुड़वा संतान हैं। यमी ही बाद में यमुना के स्वरुप में पृथ्वी पर आ गईं। चित्रगुप्त पूजा विधि भाई दूज के दिन शुभ मुहूर्त में एक चौकी पर चित्रगुप्त महाराज की तस्वीर स्थापित करें। उनको अक्षत्, फूल, मिठाई, फल आदि चढ़ा दें। अब एक नई कलम उनको अर्पित करें तथा कलम-दवात की पूजा करें। अब सफेद कागज पर श्री गणेशाय नम: और 11 बार ओम चित्रगुप्ताय नमः लिख लें। अब चित्रगुप्त जी से विद्या, बुद्धि तथा लेखन का अशीर्वाद लें। इस दिन ओम श्री चित्रगुप्ताय नमः मंत्र का भी जाप करना उत्तम माना जाता है।

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