HARIDWAR KI GUNJ
(अब्दुल सत्तार-वरिष्ठ सम्पादक) हरिद्वार। गाय एक समुदाय की आस्था से जुडी हुई है, गाय मे करोडो लोग आस्था रखते है, बिल्कुल सही बात है, किसी की आस्था को कतई ठेस नही पहुँचनी चाहिए, लेकिन ताली एक हाथ से नही बजती है, दोनो हाथो की हथेली से बजती है, एक विशेष समुदाय मे गाय पालना और रखना बमुश्किल तमाम 2 प्रतिशत होगा, वो भी दूध के लिए और जिनकी डेयरी है, उनके लिए लेकिन गाय के वध के नाम पर मुस्लिमो को नही छोडा जा रहा है, यदि कोई मुस्लिम अपनी डेयरी के लिए दूध की गाय ला रहा है, तो उसे भी रास्ते मे रोक कर गौ रक्षक, लोगो मारने पीटने लगते है, ले जायी जा रही गाय के सम्बंध मे कोई जानकारी नही लेते कि कहाँ से लाये, क्यो लाए कहाँ ले जा रहे हो, अरे भाईयो हिन्दुत्तव की बात करते हो एक समुदाय विशेष को गाय के नाम पर निशाना बनाकर कत्ल करते हो, इन लोगो को गाय बेचने वाले भी तो आपके ही धर्म के लोग है, या ओर किसी धर्म से हो वो हिन्दोस्तान के तमाम आश्रमो, मन्दिरों, और गौशालाओं मे गाय पाली जाती है, वहाँ गाय ने दूध देना बंद कर दिया, या बुढी हो गयी तो ये लोग इस प्रकार की गायो को क्यो बेच रहे है, जब तक दूध दे रही थी, तब तक तो गौ माता थी, जब दूध देना बंद कर दिया अब घास खुलाना भी अच्छा नही समझते है, कहाँ है, गौ रक्षक सडको पर कूडे की ढेहरियो पर भूखी प्यासी घास की तलाश मे पोलोथिन खाती नजर आयेगी तथा घायल अवस्था मे दर्द से कहराहती हुई सडको गलियों मे बैठी हुई और फिरती हुई नजर आयेगी, आखिर गौ रक्षक केवल गाय के नाम मुस्लमानो को मारते पीटते नजर आ रहे है, सडको पर घूम रही भूखी प्यासी गाये नजर क्यो नही आती है, क्या गाय को केवल मुस्लमानो को मारने पीटने का जरिया गौ रक्षको ने बनाया या हिन्दुवादी संगठनो ने उठाया हुआ है, हिन्दोस्तां की सदियों पुराने भाई चारे पर कलंक लगाने का कार्य ये कुछ लोग धर्म की आड मे कर रहे है, मुस्लमान गरीब परिवारों के घरो के चिराग बुझाने का काम ऐसे कुछ लोग कर रहे है, क्या ये ही इंसानियत है, यदि कोई मुस्लिम गाय की हत्या मे लिप्त पाया जाता है, तो उसके ऊपर कठोर से कठोर कार्यवाही हो मुस्लिम समाज इसका भरपूर समर्थन और सहयोग करेगा, लेकिन गाय के नाम पर बेगुनाह लोगो को मारना और इतना मारना की वो दम तोड दे ये भी तो मानवता नही है, इंसान इंसान के खून का प्यासा हो गया है, गाय के नाम पर मारने पीटने से पहले सभी तथ्यो की जाँच कर लेनी चाहिए, आप सभी जानते है, गाय के नाम पर अख्लाक से लेकर वर्तमान अकबर तक कितने लोगो को अपने आप को गौ रक्षक बताने वाले लोगो ने मौत के घाट उतार दिया है, क्या आपका धर्म आपको यही सिखा रहा है, की बिना किसी पूछताछ के केवल शक की भिना पर एक इंसान को कत्ल कर दो, नही हिन्दु धर्म भी इस प्रकार किसी को मारने की इजाजत नही देता, एक समुदाय विशेष के लोगो को मारने पीटने और मौत के घाट उतारने की कतई इजाजत नही देता है, क्या गौ रक्षक ये नही जानते की उनका धर्म और भारत का लोकतन्त्र संविधान उन्हे इस बात की इजाजत नही देता की तुम अपनी आस्था मे इतने अंधे हो जाओ की सही क्या है, और गलत क्या है, बस जो करना है, कर दो गौ रक्षको के इस कार्य से सदियो पुरानी भारत की तहजीब संस्कृति को भारी आघात पहुँच रहे है, गौ रक्षको के इस घिनौने कृत्य से लोकतंत्र को खतरा पैदा हो रहा है, शासन प्रशासन मे बैठे लोग इस प्रकार बैठे है, जैसे लोग सिनेमा हाल मे सिनेमा देखने के लिए जाते है, और फिल्म समाप्त होने के बाद और वहाँ से आने के बाद फिल्म के बारे मे लोगो से बात करते है, की फिल्म अच्छी थी या नही फिल्म देखने मे मजा आया या नही, ठीक उसी प्रकार से शासन प्रशासन के लोग बैठे तमाशा देख रहे है, और तमाशा देखने के बाद मीडिया के माध्यम से निन्दा कर देते है, आप सरकारे चला रहे है, आप सभी समुदायो के मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री है, किसी एक समुदाय के नही है, तो फिर गाय के नाम पर कत्ल करने वाले लोगो पर कार्यवाही कौन करेगा, आप ही करेगे क्योकि आप राजा की हैसियत से कुर्सी पर विराजमान है, और राजा सभी का होता है, किसी एक दल समुदाय का नही होता तथा गौ रक्षको द्वारा की जा रही दिखावे की गायो की रक्षा के नाम अल्पसंख्यक समाज के लोगो को निशाने बनाने के कारण विश्व समाज मे भारत की छवि को धक्का लग रहा है, तो शासन प्रशासन से मै वरिष्ठ सम्पादक हरिद्वार की गूंज अपील करता हूँ, कि कोई भी कानून अपने हाथ मे लेता है, उस पर कठोर से कठोर कार्यवाही करे, तथा अल्पसंख्यक समाज से भी अपील करता हूँ, कि गाय से दूसरे समुदाय की आस्था जुडी है, आप गायो को खरीदना और बेचना बंद कर दे, साथ ही हिन्दु समाज व गौ रक्षको से भी मेरी अपील है, कि आप भी यदि इस प्रकार गाय ले जाते लोगो को पकडते है, तो पूरी जानकारियां ले की कहाँ से लाये है, कहाँ ले जा रहे है, क्यो ले जा रहे है, कितने की खरीदी है, बेचने वाले मालिक की चिठ्ठी आदि ले ले, यदि फिर भी शक हो तो गाय ले जाने वाले लोगो एवं जिस वाहन मे गाय ले जा रहे है, उस चालक की आई०डी० आदि लेकर छोड दे, जब जरूरत पडे तो और ऐसा लगे की ये लोग गलत थे, तो आई०डी० के माध्यम से कानून और पुलिस का सहारा लेकर फिर उठा सकते है, लेकिन इस प्रकार मारपीट करना ये खुल्लमखुल्ला जुल्म का नंगा डांस है, जो सही नही है, सरकार से गौ वध पर फांसी की सजा का बिल संसद से पास कर कानूनी अमली जामा पहनाने की अपील है।
किसी ने सही कहाँ।
"गायों का तस्कर नही, किसान था वो।
कसूर सिर्फ़ इतना था, कि मुस्लमान था वो।।
महात्मा गाँधी राष्ट्रपिता ने कहाँ था।
"ईश्वर अल्लाह तेरो नाम सबको सम्मति दे भगवान।।
इकबाल ने कहाँ था।
"मजहब नही सिखाता आपस मे बैर रखना हिन्दी है।
हम वतन हैं, हिन्दुस्तान हमारा हमारा।।
(अब्दुल सत्तार-वरिष्ठ सम्पादक) हरिद्वार। गाय एक समुदाय की आस्था से जुडी हुई है, गाय मे करोडो लोग आस्था रखते है, बिल्कुल सही बात है, किसी की आस्था को कतई ठेस नही पहुँचनी चाहिए, लेकिन ताली एक हाथ से नही बजती है, दोनो हाथो की हथेली से बजती है, एक विशेष समुदाय मे गाय पालना और रखना बमुश्किल तमाम 2 प्रतिशत होगा, वो भी दूध के लिए और जिनकी डेयरी है, उनके लिए लेकिन गाय के वध के नाम पर मुस्लिमो को नही छोडा जा रहा है, यदि कोई मुस्लिम अपनी डेयरी के लिए दूध की गाय ला रहा है, तो उसे भी रास्ते मे रोक कर गौ रक्षक, लोगो मारने पीटने लगते है, ले जायी जा रही गाय के सम्बंध मे कोई जानकारी नही लेते कि कहाँ से लाये, क्यो लाए कहाँ ले जा रहे हो, अरे भाईयो हिन्दुत्तव की बात करते हो एक समुदाय विशेष को गाय के नाम पर निशाना बनाकर कत्ल करते हो, इन लोगो को गाय बेचने वाले भी तो आपके ही धर्म के लोग है, या ओर किसी धर्म से हो वो हिन्दोस्तान के तमाम आश्रमो, मन्दिरों, और गौशालाओं मे गाय पाली जाती है, वहाँ गाय ने दूध देना बंद कर दिया, या बुढी हो गयी तो ये लोग इस प्रकार की गायो को क्यो बेच रहे है, जब तक दूध दे रही थी, तब तक तो गौ माता थी, जब दूध देना बंद कर दिया अब घास खुलाना भी अच्छा नही समझते है, कहाँ है, गौ रक्षक सडको पर कूडे की ढेहरियो पर भूखी प्यासी घास की तलाश मे पोलोथिन खाती नजर आयेगी तथा घायल अवस्था मे दर्द से कहराहती हुई सडको गलियों मे बैठी हुई और फिरती हुई नजर आयेगी, आखिर गौ रक्षक केवल गाय के नाम मुस्लमानो को मारते पीटते नजर आ रहे है, सडको पर घूम रही भूखी प्यासी गाये नजर क्यो नही आती है, क्या गाय को केवल मुस्लमानो को मारने पीटने का जरिया गौ रक्षको ने बनाया या हिन्दुवादी संगठनो ने उठाया हुआ है, हिन्दोस्तां की सदियों पुराने भाई चारे पर कलंक लगाने का कार्य ये कुछ लोग धर्म की आड मे कर रहे है, मुस्लमान गरीब परिवारों के घरो के चिराग बुझाने का काम ऐसे कुछ लोग कर रहे है, क्या ये ही इंसानियत है, यदि कोई मुस्लिम गाय की हत्या मे लिप्त पाया जाता है, तो उसके ऊपर कठोर से कठोर कार्यवाही हो मुस्लिम समाज इसका भरपूर समर्थन और सहयोग करेगा, लेकिन गाय के नाम पर बेगुनाह लोगो को मारना और इतना मारना की वो दम तोड दे ये भी तो मानवता नही है, इंसान इंसान के खून का प्यासा हो गया है, गाय के नाम पर मारने पीटने से पहले सभी तथ्यो की जाँच कर लेनी चाहिए, आप सभी जानते है, गाय के नाम पर अख्लाक से लेकर वर्तमान अकबर तक कितने लोगो को अपने आप को गौ रक्षक बताने वाले लोगो ने मौत के घाट उतार दिया है, क्या आपका धर्म आपको यही सिखा रहा है, की बिना किसी पूछताछ के केवल शक की भिना पर एक इंसान को कत्ल कर दो, नही हिन्दु धर्म भी इस प्रकार किसी को मारने की इजाजत नही देता, एक समुदाय विशेष के लोगो को मारने पीटने और मौत के घाट उतारने की कतई इजाजत नही देता है, क्या गौ रक्षक ये नही जानते की उनका धर्म और भारत का लोकतन्त्र संविधान उन्हे इस बात की इजाजत नही देता की तुम अपनी आस्था मे इतने अंधे हो जाओ की सही क्या है, और गलत क्या है, बस जो करना है, कर दो गौ रक्षको के इस कार्य से सदियो पुरानी भारत की तहजीब संस्कृति को भारी आघात पहुँच रहे है, गौ रक्षको के इस घिनौने कृत्य से लोकतंत्र को खतरा पैदा हो रहा है, शासन प्रशासन मे बैठे लोग इस प्रकार बैठे है, जैसे लोग सिनेमा हाल मे सिनेमा देखने के लिए जाते है, और फिल्म समाप्त होने के बाद और वहाँ से आने के बाद फिल्म के बारे मे लोगो से बात करते है, की फिल्म अच्छी थी या नही फिल्म देखने मे मजा आया या नही, ठीक उसी प्रकार से शासन प्रशासन के लोग बैठे तमाशा देख रहे है, और तमाशा देखने के बाद मीडिया के माध्यम से निन्दा कर देते है, आप सरकारे चला रहे है, आप सभी समुदायो के मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री है, किसी एक समुदाय के नही है, तो फिर गाय के नाम पर कत्ल करने वाले लोगो पर कार्यवाही कौन करेगा, आप ही करेगे क्योकि आप राजा की हैसियत से कुर्सी पर विराजमान है, और राजा सभी का होता है, किसी एक दल समुदाय का नही होता तथा गौ रक्षको द्वारा की जा रही दिखावे की गायो की रक्षा के नाम अल्पसंख्यक समाज के लोगो को निशाने बनाने के कारण विश्व समाज मे भारत की छवि को धक्का लग रहा है, तो शासन प्रशासन से मै वरिष्ठ सम्पादक हरिद्वार की गूंज अपील करता हूँ, कि कोई भी कानून अपने हाथ मे लेता है, उस पर कठोर से कठोर कार्यवाही करे, तथा अल्पसंख्यक समाज से भी अपील करता हूँ, कि गाय से दूसरे समुदाय की आस्था जुडी है, आप गायो को खरीदना और बेचना बंद कर दे, साथ ही हिन्दु समाज व गौ रक्षको से भी मेरी अपील है, कि आप भी यदि इस प्रकार गाय ले जाते लोगो को पकडते है, तो पूरी जानकारियां ले की कहाँ से लाये है, कहाँ ले जा रहे है, क्यो ले जा रहे है, कितने की खरीदी है, बेचने वाले मालिक की चिठ्ठी आदि ले ले, यदि फिर भी शक हो तो गाय ले जाने वाले लोगो एवं जिस वाहन मे गाय ले जा रहे है, उस चालक की आई०डी० आदि लेकर छोड दे, जब जरूरत पडे तो और ऐसा लगे की ये लोग गलत थे, तो आई०डी० के माध्यम से कानून और पुलिस का सहारा लेकर फिर उठा सकते है, लेकिन इस प्रकार मारपीट करना ये खुल्लमखुल्ला जुल्म का नंगा डांस है, जो सही नही है, सरकार से गौ वध पर फांसी की सजा का बिल संसद से पास कर कानूनी अमली जामा पहनाने की अपील है।
किसी ने सही कहाँ।
"गायों का तस्कर नही, किसान था वो।
कसूर सिर्फ़ इतना था, कि मुस्लमान था वो।।
महात्मा गाँधी राष्ट्रपिता ने कहाँ था।
"ईश्वर अल्लाह तेरो नाम सबको सम्मति दे भगवान।।
इकबाल ने कहाँ था।
"मजहब नही सिखाता आपस मे बैर रखना हिन्दी है।
हम वतन हैं, हिन्दुस्तान हमारा हमारा।।
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