हरिद्वार की गूंज (24*7)
(मोहम्मद आरिफ) हरिद्वार। दीपावली भारतवर्ष में मनाया जाने वाला हिंदूओं का एक ऐसा पर्व है जिसके बारे में लगभग सब जानते हैं। श्री राम की अयोध्या वापसी पर लोगों ने उनका स्वागत घी के दिये जलाकर किया। अमावस्या की काली रात रोशन ही रोशन हो गई थी। अंधेरा मिट गया और उजाला हो गया, यानि कि अज्ञानता के अंधकार को समाप्त कर ज्ञान का प्रकाश हर और फैलने लगा। इसलिये दीपावली को प्रकाशोत्सव भी कहा जाता है। दीपावली का त्यौहार जब आता है तो साथ में अनेक त्यौहार लेकर आता है। एक और यह जीवन में ज्ञान रुपी प्रकाश को लाने वाला है तो वहीं सुख-समृद्धि की कामना के लिये भी दीपावली से बढ़कर कोई त्यौहार नहीं होता। इसलिये इस अवसर पर लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है। दीपदान, धनतेरस, गोवर्धन पूजा, भैया दूज आदि त्यौहार दीपावली के साथ-साथ ही मनाये जाते हैं। सांस्कृतिक, सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक हर लिहाज से दीपावली बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार है। वर्तमान में तो इस त्यौहार ने धार्मिक भेदभाव को भी भुला दिया है और सभी धर्मों के लोग इसे अपने-अपने तरीके से मनाने लगे हैं। हालांकि पूरी दुनिया में दीपावली से मिलते जुलते त्यौहार अलग-अलग नामों से मनाये जाते हैं लेकिन भारतवर्ष में विशेषकर हिंदूओं में दिवाली का त्यौहार बहुत मायने रखता है। वहीं जनकल्याण सेवा ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रदीप चौधरी ने दीपावली पर्व के शुभ अवसर पर देशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि दीपावली खुशियों और प्रकाश का महापर्व, देश के हर घर में सुख, शांति और समृद्धि का संचार लाएगा। उन्होंने कहा कि दीपावली पर्व हमें मानवता की सेवा की ओर अग्रसर होने के लिए प्रेरित करता है। और हम सभी देशवासी संकल्प ले कि जिस प्रकार एक जलता हुआ दीपक अनेक दीपकों को प्रज्ज्वलित कर सकता है। उसी प्रकार से हम समाज के निर्धन, बेसहारा और जरूरतमंद लोगों के जीवन में खुशियां बांटते हुए आशा और समृद्धि का दीप बनें रहे। आपको बता दें कि वरिष्ठ समाजसेवी प्रदीप चौधरी ऐसी शख्सियत है जो निर्धन बेसहारा और जरूरतमंदों के संकट में ईश्वर का अवतार बनकर खड़े रहते हैं। जरूरतमंदों की सेवा करना वह अपना धर्म मानते हैं। प्रदीप चौधरी कहते हैं कि मानव संसाधन प्रकृति का सबसे बड़ा उपहार है। इसलिए मानव सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है। उनका कहना है कि मानव की आत्मा ही परमात्मा है। और मानव मात्र की सेवा करने से ही सच्चे सुख की प्राप्ति होती है। और हम सभी को भेदभाव जाति धर्म से ऊपर उठकर इंसानियत को अहमियत देनी चाहिए। क्योंकि मानव सेवा ही सभी धर्मों का सार तत्व है। यही हमारा सच्चा धर्म होगा। इतना ही नहीं वरिष्ठ समाजसेवी प्रदीप चौधरी कहते हैं कि मानवता शब्द का सरल शब्दों में मतलब है - इंसानियत या यूं कहें मानव का मानव के प्रति सदभाव यानि मानवता ही है। इन्ही उच्च विचारों से प्रदीप चौधरी सर्व समाज के लोगों के दिलों में बसे हैं।
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