HARIDWAR KI GUNJ
(सययद तस्नीम) लेखक। आज तक मैने परियों की कहानियाॅ सुनी थी। जल परी सोना परी इत्यादि। लेकिन मैने शक्ति परी की कहानी नही सुनी। और शायद हो सकता है। किसी ने भी नही सुनी होगी। क्योंकि कहानियाॅ मन बहलाने के लिए सुनी और सुनाई जाती हैं। और शक्ति परी की कहानी एक प्रेरणा कहानी ‘कथा’ है। और प्रेरणा कहानियाॅ तब बनाई जाती हैं। जब उनका कोई लक्ष्य होता है। आज मैं आपको शक्ति परी की वो कहानी बताने जा रही हूॅ। जिसका लक्ष्य सिर्फ प्रेरणा देना ही नही। बल्कि प्रेरणा का पालन करना सिखाकर इस दुनिया को बदलना है। जो आने वाले भविष्य में होना चाहिए। शक्ति परी कोई जादुई शक्ति वाली परी नही है।उसके पास आत्मविश्वास की शक्ति है। जो एक सत्यता के राही में होनी चाहिए। शक्ति परी वो होती है।जो अपने इस आत्मविश्वास के साथ हर कार्य करती है। कि मुझे अपनी रक्षा खुद करनी है। वो यह सोचकर दुनिया का सामना नही करती । कि यदि किसी ने उसे नजर उठा कर देखा। तो वह चुप रहेगी। और सह चुपचाप अपने घर आ जाएगी। और फिर कभी बाहर ना जाने की कसम ले बैठेगी। नही! बल्कि वह उसका जवाब तभी देगी। और गलती करने वाले को यही बताकर आगे बढेगी।कि दुनिया हमेशा नारियों की मासूमियत को देखती है। वो यह जानती है कि उसे किसका डर है उसके डर को देखती है। उसकी कमज़ोरी को जानती है। लेकिन आज तक दुनिया ने नारी की शक्ति को नही पहचाना। और शायद नारी ने भी नही। जिसका पालन करके वह इस दुनिया से जीत हासिल कर सकती है। वह जिंदगी की हर जंग जीत सकती है। लेकिन! कुछ जगह हम लडकियों, नारिया,ें बेटियों की भी गलती रह जाती है। हम में से कुछ लडकियाॅ ऐसी भी होती हैं। जिन्हे अपने ईश्वर रूपी माॅ बाप का ख्याल नही होता जिन्होंने इतनी तफदील से उनका पालन पोषण करके इतना बडा किया। इस काबिल बनाया कि वो इस दुनिया को समझ सकें। वो किसी और के लिए उन्हें छोड देती हैं। अपने परिवार से अलग हो जाती हैं। एक माॅ के दिल में अपनी बेटी के लिए यही चाहत होती है। कि मेरी बेटी इज्जत से मेरा सर उॅचा रखेगी। एक पिता की आॅखो में अपनी बेटी के लिए यही सपना होता है। की मेरी आगे जाकर भी मेरा नाम रोशन करेगी। लेकिन ऐसी बेटिंयाॅ अपने माॅ बाप को जीते जी मार देती हैं। लानत है। ऐसी बेटी होने की जिंदगी पर जो अपने माॅ बाप के दिल की ख्वाहिशो ‘तमन्नाओ’ को ही ना जान सके। कि आखिर उन्हें अपनी बेटी से क्या चाहिए। क्या उम्मीद रखते हैं। वो अपनी बेटी से ! ये जो वर्तमान समय में कुछ बेटिंयो को उनके जीने का अधिकार नही मिल पाता। वो ऐसी ही लडकिंयों की वजह से होता है। क्योंकि ! ऐसी घटनाओ को सुनकर अन्य माॅ-बाप इस बात से डर जाते हैं। कि खुदा ना करे अगर हमारी बेटी ने भी ऐसा किया तो हम बेमौत मारे जाएंगे। दुनिया क्या कहेगी बेटी जन्म लेने से पहले खुदा से ये पूछती है। ऐ खुदा तू जिस दुनिया में मुझे भेज रहा है। वहाॅ मेरा कौन है? तो खुदा कहता है। उस दुनिया में एक माॅ तेरा इंतजार कर रही है। अपनी प्यारी सी बेटी का इंतजार कर रही है। जो तुझे इतना प्यार देगी कि शायद सारी दुनिया के सामने उसके प्यार का पल्डा भारी होगा। जिसने शुरू से ख्वाहिश रखी है। कि मेरी बेटी दुनिया की सबसे कामयाब बेटी होगी। वही मेरा हर सपना पूरा करेगी।साथ ही एक पिता तेरा इंतजार कर रहा है। जिसने ना जाने तेरे लिए कितने सपने देखे हुए हैं। यें दोनो ही तुझे संसार दिखांएगे। बोलना सिखाएगे। चलना सिखाएगें। दुनिया की हर मिसाल तुझको देंगें। तेरे खुदा वो दोनो हैं। तेरा कर्ज फर्ज तेरा पिता है। और तेरी जन्नत तेरी माॅ के क़दमों में है। लेकिन कुछ लडकियाॅ इस बात को भूल जाती हैं। इस कारण ना जाने कितनी बेटिंया और माॅएं अपनी और अपनी बेटियों की ज़िंदगी खो देती हैंै। कुछ लोग यह भी कहते हैं। कि पिता तो बेटी के पैदा होने पर खुश होता है। कुछ माॅएं ही बेटी के पैदा होने पर खुश नही होती है। अगर ऐसा है भी तो हम बेटियो को अपनी उस कमी को पहचानना चाहिए। कि आखिर हम में वो कौन सी कमी है जिसकी वजह से एक नारी ही नारी को जन्म देने से खुश नही है। और कुछ बेटियां ऐसी भी होती हैं। जो खुदा की उस बात को नही भूलतीं। वो अपने माॅ बाप के दिल की हर तमन्ना जानती हैं। लेकिन वो इस दुनिया से सामना करना नही जानती। कि हारती हुई मंजिल पर जीत कैसे हासिल की जाती है। वो यह नही जानती की एक सफल नारी की गाइड लाइन क्या है। वो अपने अन्दर शक्ति परी को नही पहचान पाती। उन्हें कोई गाइड करने वाला नही होता। यह बताने वाला नही होता कि तुम जीत कैसे हासिल कर सकती हो। और शायद हिन्दुस्तान आज भी तरक्की में इसीलिए पीछे है। क्योकि यहाॅ की प्रत्येक नारी अपने प्रति सक्षम नही है। वो बेटियाॅ जानती हैं।कि उनके लिए सही रास्ता कौन सा है वो उम्मीदों को कायम रखना जानतीं हैं। लेकिन उम्मीदों को अंजाम देना नही जानती।
मैं आपको बताना चाहुॅगी कि कैसे हम 100 प्रतिशत नारियों में से 70 प्रतिशत नारियाॅ रह जाती हैं। और 70 प्रतिशत मे से 10 प्रतिशत ।
30 प्रतिशत लडकियाॅ वो होतीं हैं जो कोई परंपरा नहीं जानती जो ये भूल जाती हैं। कि उन्हें दुनिया में काबिलियत किसके कारण प्राप्त हुई।
30 प्रतिशत लडकियाॅ वो होती हैं जो उन 30 प्रतिशत लडकियों की वजह से अपना अस्तित्व खो देतीं हैं।
20 प्रतिशत लडकियाॅ वो होती हैं जो उॅची उडान भरना चाहती हैं मगर भर नही पाती।
10 प्रतिशत लडकियाॅ वो होती हैं जो सक्षम नारी की गाइड लाइन तो पढतीं हैं मगर पालन नही कर पाती।
और 10 प्रतिशत लडकियाॅ वो होती हैं जो अपने माॅ-बाप के दिलो को पढने के साथ साथ उनकी ख्वाहिशों को पूरा करने का हौंसला रखतीं हैं। सिस्टम अपनाती हैं
दुनिया की हर दीवार गिराने की गाइड लाइन पढतीं हैं। किस समय में कैसे जीत हासिल करनी है इस बात का ज्ञान रखती हैं।
सिस्टम अपनाना इतना कठिन नही होता। और जितना आसान हम समझ लें इतना आसान भी नही होता। मैं आपको बताती हूॅ कि सिस्टम होता क्या है।
एस0 सेव
वाई0 योअर
एस0 सैल्फ
टी0 टाइम ,थ्रीटस
ई0 एनर्जी
एम0 मैमोरी
जिसका अर्थ है। कि अपना अस्तित्व, अपना समय और शक्ति रूपी ताक़त और अपने ज्ञान को सुरखित रखिए।
मैं भीड़ का हिस्सा ना बनकर भीड़ का कारण बनना चाहती हूॅ। और यही चाहती हूॅ कि जो पाॅवर 10 प्रतिशत पर है। वो 100 प्रतिशत हो। सवाल सिर्फ एक शून्य का है।
जब तक हिन्दुस्तान की प्रत्येक नारी सक्षम नारी अपने प्रति सक्षम नही हो जाती। अपने कर्तव्य नही जान लेती। उन कर्तव्यो का पालन नही कर लेती। तब तक ये शून्य अधूरा है। और जब ये शून्य पूरा होगा। फिर कोई भीड़ का हिस्सा नही होगा। सब भीड़ का कारण होगें। यदि कोई भीड़ का हिस्सा होगा। तो सिर्फ वो दरिंदें जो बेटी के अस्तित्व को पनपने नही देना चाहते। जिन्हें दरिंदगी करते समय ये ख्याल नही आता। कि ये भी किसी की बहन, बेटी होगी। यदि हर बेटी, हर बहन, प्रत्येक नारी अपने प्रति सक्षम हो जाए। तो शायद ये दरिंगी शब्द दुनिया से मिट जाएगा। मैं किसी की नजर में हूॅ या नही हूॅ। मैं अपनी नजर में खुद पाॅवर एंजिल हूॅ। कोई जाने या ना जाने लेकिन मैं जानती हूॅ। कि मैं खुद को पाॅवर एंजिल क्यो मानती हूॅ। क्योकि मैं अपने माॅ-बाप की ख्वाहिशे जानती हूॅ। मैं किसी को जाहिर होने दूं या ना दूं। मैं सिस्टम अपनाती हूॅ। मैं हमेशा अपनी गाइड लाइन अपने मस्तिष्क में रखती हूॅ। कि मुझे किस समय में कैसे सफल होना है। मैं कहती हूॅ कि छोड़ दीजिए ये डर। समय की गाइड लाइन पढ़ो। अपने प्रति सक्षम हो जाइए। दुनिया को दिखा दीजिए कि नारी में अपनी रक्षा करने का शक्ति है। और सामने वाले के इरादों को समझने की कोशिश कीजिए। एक नारी को अपने प्रति सक्षम होना बहुत आवश्यक है। क्योंकि वर्तमान समय की लड़कियाॅ प्यार के पीछे ज्यादा पागल हैं। उस प्यार के पीछे जिस प्यार की कोई गारण्टी ही नही होती। वो उस प्यार के लिए अपने अभिभावको को भी छोड़ने के लिए तैयार हो जाती हैं। और एक दिन वही प्यार उन्हें धोखा देकर चला जाता है। जिसका उन्हें पहले से अंदाजा भी नही होता। लेकिन जब हर लड़की एक सक्षम नारी का जीवन यापन करेगी। तो किसी माॅ-बाप से उनकी बेटी अलग नही होगी। फिर कोई नारी एक नारी को जन्म देने से मायूस नही होगी। फिर कहाॅ कोई किसी दामिनी को मार सकेगा। और कहाॅ कोई शक्ति परी बनने से रूक सकेगी। अब एक ऐसी बेटी ऐसी बहन बनकर दिखाना है। कि हर माॅ बाप और भाई सही कहे। कि बेटी और बहन हो तो ऐसी। मरने के बाद भी नाम जिन्दा रहना चाहिए। और हर माॅ-बाप एक बेटी की चाह रखे। नही चाहिए हमें महिला हैल्प लाइन न0। नही चाहिए हमेें आकस्मिक सेवा न0। अरे एक बार ‘द पाॅवर एंजिल’ बनकर और बनाकर तो देखिए इस देश की रक्षा तुम हो। तो क्या तैयार हैं सब ‘द पाॅवर एंजिल’ बनने और बनाने के लिए ? हो जाएं तैयार तोड़नी है अब हर बुराई की दीवार, जीतनी है अब हर जंग मिटानी है हर बॅरी परछाईं! दफन कर दीजिए हर आशा राम को । दीजिए हौंसलो को उड़ान और बन जाइए और बना दीजिए ‘द पाॅवर एंजिल’। फिर कोई बेटी अपनी जिन्दगी नही गवाएगी मिट जाएगी हर बुराई, नही होगी कोई बुरी परछाईं! और हर पाॅवर एंजिल बेटी यही बात कहेगी। पाॅवर एंजिल क्या सारी दुनिया कहेगी।
नाम रखने से क्या फायदा
नाम की पहचान होनी चाहिए,
पंखो से उड़कर क्या करेंगें
हौंसलो में उड़ान होनी चाहिए।
लेखक सययद तस्नीम
(सययद तस्नीम) लेखक। आज तक मैने परियों की कहानियाॅ सुनी थी। जल परी सोना परी इत्यादि। लेकिन मैने शक्ति परी की कहानी नही सुनी। और शायद हो सकता है। किसी ने भी नही सुनी होगी। क्योंकि कहानियाॅ मन बहलाने के लिए सुनी और सुनाई जाती हैं। और शक्ति परी की कहानी एक प्रेरणा कहानी ‘कथा’ है। और प्रेरणा कहानियाॅ तब बनाई जाती हैं। जब उनका कोई लक्ष्य होता है। आज मैं आपको शक्ति परी की वो कहानी बताने जा रही हूॅ। जिसका लक्ष्य सिर्फ प्रेरणा देना ही नही। बल्कि प्रेरणा का पालन करना सिखाकर इस दुनिया को बदलना है। जो आने वाले भविष्य में होना चाहिए। शक्ति परी कोई जादुई शक्ति वाली परी नही है।उसके पास आत्मविश्वास की शक्ति है। जो एक सत्यता के राही में होनी चाहिए। शक्ति परी वो होती है।जो अपने इस आत्मविश्वास के साथ हर कार्य करती है। कि मुझे अपनी रक्षा खुद करनी है। वो यह सोचकर दुनिया का सामना नही करती । कि यदि किसी ने उसे नजर उठा कर देखा। तो वह चुप रहेगी। और सह चुपचाप अपने घर आ जाएगी। और फिर कभी बाहर ना जाने की कसम ले बैठेगी। नही! बल्कि वह उसका जवाब तभी देगी। और गलती करने वाले को यही बताकर आगे बढेगी।कि दुनिया हमेशा नारियों की मासूमियत को देखती है। वो यह जानती है कि उसे किसका डर है उसके डर को देखती है। उसकी कमज़ोरी को जानती है। लेकिन आज तक दुनिया ने नारी की शक्ति को नही पहचाना। और शायद नारी ने भी नही। जिसका पालन करके वह इस दुनिया से जीत हासिल कर सकती है। वह जिंदगी की हर जंग जीत सकती है। लेकिन! कुछ जगह हम लडकियों, नारिया,ें बेटियों की भी गलती रह जाती है। हम में से कुछ लडकियाॅ ऐसी भी होती हैं। जिन्हे अपने ईश्वर रूपी माॅ बाप का ख्याल नही होता जिन्होंने इतनी तफदील से उनका पालन पोषण करके इतना बडा किया। इस काबिल बनाया कि वो इस दुनिया को समझ सकें। वो किसी और के लिए उन्हें छोड देती हैं। अपने परिवार से अलग हो जाती हैं। एक माॅ के दिल में अपनी बेटी के लिए यही चाहत होती है। कि मेरी बेटी इज्जत से मेरा सर उॅचा रखेगी। एक पिता की आॅखो में अपनी बेटी के लिए यही सपना होता है। की मेरी आगे जाकर भी मेरा नाम रोशन करेगी। लेकिन ऐसी बेटिंयाॅ अपने माॅ बाप को जीते जी मार देती हैं। लानत है। ऐसी बेटी होने की जिंदगी पर जो अपने माॅ बाप के दिल की ख्वाहिशो ‘तमन्नाओ’ को ही ना जान सके। कि आखिर उन्हें अपनी बेटी से क्या चाहिए। क्या उम्मीद रखते हैं। वो अपनी बेटी से ! ये जो वर्तमान समय में कुछ बेटिंयो को उनके जीने का अधिकार नही मिल पाता। वो ऐसी ही लडकिंयों की वजह से होता है। क्योंकि ! ऐसी घटनाओ को सुनकर अन्य माॅ-बाप इस बात से डर जाते हैं। कि खुदा ना करे अगर हमारी बेटी ने भी ऐसा किया तो हम बेमौत मारे जाएंगे। दुनिया क्या कहेगी बेटी जन्म लेने से पहले खुदा से ये पूछती है। ऐ खुदा तू जिस दुनिया में मुझे भेज रहा है। वहाॅ मेरा कौन है? तो खुदा कहता है। उस दुनिया में एक माॅ तेरा इंतजार कर रही है। अपनी प्यारी सी बेटी का इंतजार कर रही है। जो तुझे इतना प्यार देगी कि शायद सारी दुनिया के सामने उसके प्यार का पल्डा भारी होगा। जिसने शुरू से ख्वाहिश रखी है। कि मेरी बेटी दुनिया की सबसे कामयाब बेटी होगी। वही मेरा हर सपना पूरा करेगी।साथ ही एक पिता तेरा इंतजार कर रहा है। जिसने ना जाने तेरे लिए कितने सपने देखे हुए हैं। यें दोनो ही तुझे संसार दिखांएगे। बोलना सिखाएगे। चलना सिखाएगें। दुनिया की हर मिसाल तुझको देंगें। तेरे खुदा वो दोनो हैं। तेरा कर्ज फर्ज तेरा पिता है। और तेरी जन्नत तेरी माॅ के क़दमों में है। लेकिन कुछ लडकियाॅ इस बात को भूल जाती हैं। इस कारण ना जाने कितनी बेटिंया और माॅएं अपनी और अपनी बेटियों की ज़िंदगी खो देती हैंै। कुछ लोग यह भी कहते हैं। कि पिता तो बेटी के पैदा होने पर खुश होता है। कुछ माॅएं ही बेटी के पैदा होने पर खुश नही होती है। अगर ऐसा है भी तो हम बेटियो को अपनी उस कमी को पहचानना चाहिए। कि आखिर हम में वो कौन सी कमी है जिसकी वजह से एक नारी ही नारी को जन्म देने से खुश नही है। और कुछ बेटियां ऐसी भी होती हैं। जो खुदा की उस बात को नही भूलतीं। वो अपने माॅ बाप के दिल की हर तमन्ना जानती हैं। लेकिन वो इस दुनिया से सामना करना नही जानती। कि हारती हुई मंजिल पर जीत कैसे हासिल की जाती है। वो यह नही जानती की एक सफल नारी की गाइड लाइन क्या है। वो अपने अन्दर शक्ति परी को नही पहचान पाती। उन्हें कोई गाइड करने वाला नही होता। यह बताने वाला नही होता कि तुम जीत कैसे हासिल कर सकती हो। और शायद हिन्दुस्तान आज भी तरक्की में इसीलिए पीछे है। क्योकि यहाॅ की प्रत्येक नारी अपने प्रति सक्षम नही है। वो बेटियाॅ जानती हैं।कि उनके लिए सही रास्ता कौन सा है वो उम्मीदों को कायम रखना जानतीं हैं। लेकिन उम्मीदों को अंजाम देना नही जानती।
मैं आपको बताना चाहुॅगी कि कैसे हम 100 प्रतिशत नारियों में से 70 प्रतिशत नारियाॅ रह जाती हैं। और 70 प्रतिशत मे से 10 प्रतिशत ।
30 प्रतिशत लडकियाॅ वो होतीं हैं जो कोई परंपरा नहीं जानती जो ये भूल जाती हैं। कि उन्हें दुनिया में काबिलियत किसके कारण प्राप्त हुई।
30 प्रतिशत लडकियाॅ वो होती हैं जो उन 30 प्रतिशत लडकियों की वजह से अपना अस्तित्व खो देतीं हैं।
20 प्रतिशत लडकियाॅ वो होती हैं जो उॅची उडान भरना चाहती हैं मगर भर नही पाती।
10 प्रतिशत लडकियाॅ वो होती हैं जो सक्षम नारी की गाइड लाइन तो पढतीं हैं मगर पालन नही कर पाती।
और 10 प्रतिशत लडकियाॅ वो होती हैं जो अपने माॅ-बाप के दिलो को पढने के साथ साथ उनकी ख्वाहिशों को पूरा करने का हौंसला रखतीं हैं। सिस्टम अपनाती हैं
दुनिया की हर दीवार गिराने की गाइड लाइन पढतीं हैं। किस समय में कैसे जीत हासिल करनी है इस बात का ज्ञान रखती हैं।
सिस्टम अपनाना इतना कठिन नही होता। और जितना आसान हम समझ लें इतना आसान भी नही होता। मैं आपको बताती हूॅ कि सिस्टम होता क्या है।
एस0 सेव
वाई0 योअर
एस0 सैल्फ
टी0 टाइम ,थ्रीटस
ई0 एनर्जी
एम0 मैमोरी
जिसका अर्थ है। कि अपना अस्तित्व, अपना समय और शक्ति रूपी ताक़त और अपने ज्ञान को सुरखित रखिए।
मैं भीड़ का हिस्सा ना बनकर भीड़ का कारण बनना चाहती हूॅ। और यही चाहती हूॅ कि जो पाॅवर 10 प्रतिशत पर है। वो 100 प्रतिशत हो। सवाल सिर्फ एक शून्य का है।
जब तक हिन्दुस्तान की प्रत्येक नारी सक्षम नारी अपने प्रति सक्षम नही हो जाती। अपने कर्तव्य नही जान लेती। उन कर्तव्यो का पालन नही कर लेती। तब तक ये शून्य अधूरा है। और जब ये शून्य पूरा होगा। फिर कोई भीड़ का हिस्सा नही होगा। सब भीड़ का कारण होगें। यदि कोई भीड़ का हिस्सा होगा। तो सिर्फ वो दरिंदें जो बेटी के अस्तित्व को पनपने नही देना चाहते। जिन्हें दरिंदगी करते समय ये ख्याल नही आता। कि ये भी किसी की बहन, बेटी होगी। यदि हर बेटी, हर बहन, प्रत्येक नारी अपने प्रति सक्षम हो जाए। तो शायद ये दरिंगी शब्द दुनिया से मिट जाएगा। मैं किसी की नजर में हूॅ या नही हूॅ। मैं अपनी नजर में खुद पाॅवर एंजिल हूॅ। कोई जाने या ना जाने लेकिन मैं जानती हूॅ। कि मैं खुद को पाॅवर एंजिल क्यो मानती हूॅ। क्योकि मैं अपने माॅ-बाप की ख्वाहिशे जानती हूॅ। मैं किसी को जाहिर होने दूं या ना दूं। मैं सिस्टम अपनाती हूॅ। मैं हमेशा अपनी गाइड लाइन अपने मस्तिष्क में रखती हूॅ। कि मुझे किस समय में कैसे सफल होना है। मैं कहती हूॅ कि छोड़ दीजिए ये डर। समय की गाइड लाइन पढ़ो। अपने प्रति सक्षम हो जाइए। दुनिया को दिखा दीजिए कि नारी में अपनी रक्षा करने का शक्ति है। और सामने वाले के इरादों को समझने की कोशिश कीजिए। एक नारी को अपने प्रति सक्षम होना बहुत आवश्यक है। क्योंकि वर्तमान समय की लड़कियाॅ प्यार के पीछे ज्यादा पागल हैं। उस प्यार के पीछे जिस प्यार की कोई गारण्टी ही नही होती। वो उस प्यार के लिए अपने अभिभावको को भी छोड़ने के लिए तैयार हो जाती हैं। और एक दिन वही प्यार उन्हें धोखा देकर चला जाता है। जिसका उन्हें पहले से अंदाजा भी नही होता। लेकिन जब हर लड़की एक सक्षम नारी का जीवन यापन करेगी। तो किसी माॅ-बाप से उनकी बेटी अलग नही होगी। फिर कोई नारी एक नारी को जन्म देने से मायूस नही होगी। फिर कहाॅ कोई किसी दामिनी को मार सकेगा। और कहाॅ कोई शक्ति परी बनने से रूक सकेगी। अब एक ऐसी बेटी ऐसी बहन बनकर दिखाना है। कि हर माॅ बाप और भाई सही कहे। कि बेटी और बहन हो तो ऐसी। मरने के बाद भी नाम जिन्दा रहना चाहिए। और हर माॅ-बाप एक बेटी की चाह रखे। नही चाहिए हमें महिला हैल्प लाइन न0। नही चाहिए हमेें आकस्मिक सेवा न0। अरे एक बार ‘द पाॅवर एंजिल’ बनकर और बनाकर तो देखिए इस देश की रक्षा तुम हो। तो क्या तैयार हैं सब ‘द पाॅवर एंजिल’ बनने और बनाने के लिए ? हो जाएं तैयार तोड़नी है अब हर बुराई की दीवार, जीतनी है अब हर जंग मिटानी है हर बॅरी परछाईं! दफन कर दीजिए हर आशा राम को । दीजिए हौंसलो को उड़ान और बन जाइए और बना दीजिए ‘द पाॅवर एंजिल’। फिर कोई बेटी अपनी जिन्दगी नही गवाएगी मिट जाएगी हर बुराई, नही होगी कोई बुरी परछाईं! और हर पाॅवर एंजिल बेटी यही बात कहेगी। पाॅवर एंजिल क्या सारी दुनिया कहेगी।
नाम रखने से क्या फायदा
नाम की पहचान होनी चाहिए,
पंखो से उड़कर क्या करेंगें
हौंसलो में उड़ान होनी चाहिए।
लेखक सययद तस्नीम
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