हरिद्वार की गूंज (24*7)

(गगन शर्मा) हरिद्वार। उत्तराखंड पुलिस महानिदेशक पद से अनिल रतूड़ी के बाद अशोक कुमार 30 नवम्बर से इस पद को संभालेंगे। जिनके सामने अपराध पर नियंत्रण के अलावा 2021 में आयोजित महाकुंभ मेले का सकुशल आयोजन सम्पन्न कराना रहेगा। इसके लिये वो हरिद्वार के एसएसपी के अलावा अन्य जनपद के एसएसपी से मिलकर नई योजनाओं पर कार्य भी करेगे। मगर साथ ही उन्हें ऐसे पत्रकारो, बुद्धिजीवीयो, समाजसेवियों, समय समय पर एसपीओ के रूप ने सेवा देने वाले  लोगो की सुझाव हेतु प्लेटफार्म भी तैयार करना होगा। अपराधियो पर नियंत्रण के लिये प्रत्येक जनपद में आवश्यकता है कि पुलिस सुरक्षा के नाम पर हैलमेट चैकिंग पर अपनी ऊर्जा लगाने से कही ज्यादा समाज की सुरक्षा हेतु योजना बनाकर कार्य करे। उसके लिये उत्तराखंड पुलिस को सर्वप्रथम संदिग्ध नम्बर प्लेट, संदिग्ध वाहनों पर अपनी तेज तर्रार निगाहो के द्वारा नियंत्रण स्थापित करना होगा। फर्जी पत्रकारो पर नियंत्रण हेतु यदि प्रत्येक जनपद की पुलिस सूचना विभाग से तालमेल बैठाकर कार्य करना भी प्रशासन के लिये आवश्यक है। अक्सर अधिकांश विभागों के अधिकारीयो को फर्जी पत्रकारो के कारण उन्हें उनके कार्यो मे असुविधा का सामना करना पड़ता है। इसके लिये कुछ साल पहले अशोक कुमार ने फर्जी पत्रकारो पर धोखाधड़ी 420 की धारा अंतर्गत मुकदमा दर्ज करने की बात भी कही थी। जिस पर अब कार्य करने का समय आ गया है। उत्तराखंड पुलिस के प्रतिभावान, मेहनती हाई टेक पुलिस के कारण अधिकांश केस को हल करने में महारत हासिल है, लेकिन समाज की सुरक्षा हेतु जरूरत है कि नए उत्तराखंड पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ऐसी योजना बनाए जिससे अपराध को होने से पहले ही नियंत्रित किया जा सके। जिन जनपदों में सीपीयू कार्य कर रही है उनमें भी समाज की सुरक्षा हेतु बदलाव की जरूरत है। सीपीयू को अब एक स्थान पर खड़े होकर बिना हैलमेट के चालको का आने का इंतजार करने की अपेक्षा शहरों और सड़कों में घूमकर मोबाइल पर बात करने वालो, वाहनों पर काली फ़िल्म चढ़ाकर चलने वालों, संदिग्ध नम्बर प्लेट और वाहनों पर नियंत्रण करना समाज की पहली आवश्यकता है। इस पर उत्तराखंड पुलिस को प्रत्येक जनपद में जीरो टॉलरेंस नीति पर कार्य करने की आवश्यकता है। इसके लिये उन्हें समाज के जिम्मेदार नागरिकों और पत्रकारो के साथ मिलकर कार्य करना होगा। उत्तराखंड पुलिस मित्र पुलिस की छवि निसंदेह अब तक उत्तम रही है। जिस प्रकार उत्तराखंड पुलिस कोरोना वायरस या अन्य आपदाओं में स्वयं की परवाह किये बिना जनता की सेवा में ततपर रही है उसकी जितनी प्रशंसा की जाय कम है। 15 अगस्त और 26 जनवरी जैसे सामाजिक उत्सवों पर पुलिस विभाग को सहयोग करने वाले स्वयंसेवी जनता को भी सम्मानित करने पर विचार भी करना चाहिए।

Share To:

Post A Comment:

0 comments so far,add yours