हरिद्वार की गूंज (24*7)

(मोहम्मद आरिफ) हरिद्वार। भारत में प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा और पत्रकारिता में उच्च आदर्श कायम करने के उद्देश्य से एक प्रेस परिषद की कल्पना की थी। परिणाम स्वरूप 4 जुलाई, 1966 को भारत में प्रेस परिषद की स्थापना की गई। जिसने 16 नवम्बर, 1966 से अपना विधिवत कार्य शुरू किया गया। तब से लेकर आज तक प्रतिवर्ष 16 नवम्बर को 'राष्ट्रीय प्रेस दिवस' के रूप में मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य देश में आम लोगों को प्रेस के बारे में जागरूक करना और उनको प्रेस के नजदीक लाना है। और पत्रकारिता का क्षेत्र आज व्यापक हो गया है। पत्रकारिता जन-जन तक सूचना पहुंचाने का मुख्य साधन बन चुका है। वहीं जनकल्याण सेवा ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रदीप चौधरी ने  प्रेस दिवस की बधाई देते हुए कहा कि भारतीय प्रेस परिषद दायितव के साथ स्वतंत्रता के सिद्धांत का अनुसरण करता है और ऐसे संस्थानों और पत्रकारों को प्रोत्साहित करता है जो निडर होकर सक्रिय रूप से निष्पक्ष सूचना देते हैं और समाज को जागरूक करते हैं। उन्होंने कहा कि पत्र-पत्रिकाओं में सदा से ही समाज को प्रभावित करने की क्षमता रही है। और समाज में जो हुआ, जो हो रहा है, जो होगा और जो होना चाहिए, यानी जिस परिजन की जरूरत है इन सब पर पत्रकार को नजर रखनी चाहिए। उन्होंने कहा आज समाज में पत्रकारिता का महत्व काफी बढ़ गया है इसलिए उसके सामाजिक और व्यावसायिक उत्तरदायित्व बढ़ गए हैं। पत्रकारिता का उद्देश्य सच्ची घटनाओं पर प्रकाश डालना है वास्तविकता को सामने लाना है। इसके बावजूद यह आशा की जाती है कि वह इस तरह काम करें कि बहुजन हिताय की भावना सिद्ध हो सके। प्रदीप चौधरी ने कहा कि यह समय पत्रकारिता के लिए बेहद महत्वपूर्ण भी है। उन्होंने इस बात पर संतोष जताया कि अधिकांश पत्रकार अपनी जिम्मेदारियों का भली भाती से पालन कर रहे हैं। और अपनी सच्ची लेखनी से समाज की समस्याओं को शासन प्रशासन तक पहुंचाने का कार्य भी कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पत्रकारों के कंधों पर समाज को दिशा देने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है और उन्हें अपनी इस जिम्मेदारी को पूरी गंभीरता के साथ निभानी चाहिए।

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