HARIDWAR KI GUNJ
(अब्दुल सत्तार वरिष्ठ सम्पादक) हरिद्वार। आज भी इतना विकसित दौर होने के बाद भी नेताओं के जुलूस और जलसे मे भारत के गरीब और कम पढे लिखे लोग ही नारे लगाकर अपने गले फाडते और चप्पले रगडते हुए नजर आते है, बेचारे भूखे प्यासे नेताओ के भाषणो की बाजीगरी मे फंस कर अपना समय बर्बाद करते हुए अपनी मजदूरी छोडते है, केवल नेताओ के गुमराह करने पर वो बेचारे ऐसा करते हुए नजर आते है, समाज के शिक्षित लोगो को समाज के इस प्रकार के लोगो को जागरूक करने की आवश्यकता है, तब जाकर ही समाज और देश का विकास सम्भव है।
(अब्दुल सत्तार वरिष्ठ सम्पादक) हरिद्वार। आज भी इतना विकसित दौर होने के बाद भी नेताओं के जुलूस और जलसे मे भारत के गरीब और कम पढे लिखे लोग ही नारे लगाकर अपने गले फाडते और चप्पले रगडते हुए नजर आते है, बेचारे भूखे प्यासे नेताओ के भाषणो की बाजीगरी मे फंस कर अपना समय बर्बाद करते हुए अपनी मजदूरी छोडते है, केवल नेताओ के गुमराह करने पर वो बेचारे ऐसा करते हुए नजर आते है, समाज के शिक्षित लोगो को समाज के इस प्रकार के लोगो को जागरूक करने की आवश्यकता है, तब जाकर ही समाज और देश का विकास सम्भव है।
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