HARIDWAR KI GUNJ
(अब्दुल सत्तार वरिष्ठ सम्पादक) हरिद्वार। सभी धर्मों मे शिक्षा हासिल करने के लिए अलग अलग तरह से जोर दिया गया है, इस्लाम मजहब और मुसलमानों

के आखिरी पैगम्बर नबी ए पाक सल्लल्लाहु अलैही वस्सलम के ऊपर तमाम दुनिया के लिए उतारी गयी आसमानी किताब कुरान शरीफ की पहली आयत जो अरब देश के शहर मक्का के करीब एक पहाडी गुफा मे नबी ए पाक पर उतारी गयी, उसका पहला अल्फाज इकरा जिसका अर्थ है, पढो इसका मतलब ये है, कि इस्लाम मजहब मे तालीम(शिक्षा) को हासिल करने के लिए कितना जोर दिया गया है, लेकिन फिर भी आज तक मुस्लमानो मे शिक्षा को हासिल करने की कोई दिलचस्पी नही है, तो मुस्लमानो को इस्लाम मजहब और नबी ए पाक सल्लल्लाहु अलैही वस्सलम के ऊपर उतरी आयत इकरा को अपने जीवन मे उतार कर अपने बच्चो को ज्यादा से ज्यादा शिक्षित करने की जरूरत है, क्योकि पिछलज 70 सालो मे समस्त सरकारो ने भी मुस्लमानो के बच्चो को आंगनबाड़ी केन्द्रों, सरकारी स्कूलो, दूसरे माध्यमो से वजीफा देकर, मिड डे मिल और किताबें वर्दी देकर इन साधनो के माध्यम मुस्लमानो के बच्चो को शिक्षा से वंचित किया है, यदि सरकार ने शिक्षा का अधिकार कानून बनाया तो उसके तहत प्राईवेट स्कूल 25% दाखिले पूरे नही लेता है, मुस्लमान आर्थिक हालात से कमजोर है, उनको ये लालच रहता है, कि हमारे बच्चो को नि:शुल्क शिक्षा, वजीफा, पोशाक, किताबें, खाना मिल रहा है, तो क्यो ना हम सरकारी स्कूलो मे ही अपने बच्चे भेजे,जबकि मुस्लमानो के ये मालूम नही है, कि इन साधनो के माध्यम से आपके बच्चो का भविष्य खराब किया जा रहा है, क्योकि सरकारी स्कूलो की शिक्षा कितनी बेहतर है, ये स्वयं शासन प्रशासन तथा समाज के पढे लिखे लोग जानते है, यदि सरकारी स्कूलो मे पढाई का म्यार जबरदस्त है, तो शासन प्रशासन मे बैठे अफसर और मंत्रीगणो के बच्चो क्यो सरकारी स्कूलो मे नजर नही आते है, यदि सरकार गरीबो की इतनी बडी हितैषी है, तो प्राईवेट स्कूलो को बंद कराकर अपने बच्चो को भी सरकारी स्कूलो मे दाखिल क्यो नही कराते, अपने बच्चो को गरीबो के बच्चो के समान बैठाकर तालीम की व्यवस्था क्यो नही करते, इसलिए सरकार की मंशा को समझकर मुस्लमानो को अपने बच्चो को प्राईवेट स्कूलो मे पढाने चाहिए, तब ही जाकर मुस्लमानो के बच्चे अच्छी शिक्षा ले सकते है, तथा अपना और अपने समाज वे देश का विकास कर सकते है।
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