हरिद्वार की गूंज
(गगन शर्मा उत्तराखंड प्रभारी) हरिद्वार। दूसरे के जीवन की रक्षा करने वाले सभी डॉक्टर को "हरिद्वार की गूंज" समाचार पत्र की ओर से डॉक्टर डे की बहुत बहुत शुभकामनाएं। आप लोगो के जीवन की प्रभु रक्षा करे ताकि आप समाज के लोगो के जीवन की रक्षा करते रहे।
माना कि पिछले कुछ सालों से जब से डॉक्टर की पढ़ाई महंगी हुई है तब से कुछ मुनाफाखोर डॉक्टर द्वारा इस पवित्र रिश्ते की मर्यादा धूमिल हुई हैं। मगर इन सबके बावजूद हरिद्वार के कुछ डॉक्टर को यहाँ की जनता भगवान की तरह मानती हैं। उनमें से हरिद्वार के लक्सर रोड़ पर कटारपुर गांव के डॉ सतीश जिन्होंने अपना जीवन साईकल द्वारा चांदपुर, बिसनपुर आदि गांव में घूम घूम कर स्थानीय जनता की सेवा की है। डॉ सतीश बिना मौसम की परवाह किये, सर्दी , गर्मी और बरसात में रात को कभी 2 बजे तो कभी 4 बजे मरीजो के घर अपनी सेवा दी है। इसी गांव के डॉ सूर्यकांत सैनी जो कि आर्युवेद पद्धति पर मरीजो का इलाज करते हैं। डॉ सैनी के पास बहुत दूर दूर तक के मरीज अपने रोगों को दूर भगाने की आस लिए उनके पास आते हैं। पिछले 40 साल से भी ज्यादा समय से इन्होंने अन्य राज्यो में भी खूब नाम कमाया हैं। हरिद्वार की बात करे तो बच्चों के विषय मे ज्वालापुर के डॉक्टर सोंधी पहली पसंद है। उनका बीमार बच्चों के प्रति व्यवहार और रोग को तलाशने का हुनर ही उन्हें अन्ये डॉक्टर से अलग करता हैं। बच्चों की गम्भीर बीमारियों को भी डॉक्टर सोंधी अपने अनुभव के आधार पर आसानी से इलाज कर लेते हैं। ज्वालापुर के ही डॉक्टर सुभाष जिनका क्लीनिक कोतवाली के पीछे हैं, उनके पास भी हरिद्वार ग्रामीण से ही नही अपितु अन्ये दूर दराज क्षेत्र भी अभिभावक अपने बीमार बच्चों को इलाज कराने आते हैं। डॉ सुभाष को नब्ज देखने का इतना गहरा अनुभव है कि बच्चे की बीमारियों को आसानी से पढ़ लेते हैं। इसके अलावा कनखल में बंगाली अस्पताल के डॉक्टर चौधरी जिन्होंने कई दशक से इस अस्पताल में कई मरीजो को जीवन दान दिलाने में मदद की है। आर्युवेद के क्षेत्र में महेन्द्र राणा जी ने अपना हरिद्वार में काफी नाम कमाया है। आर्युवेद में दवाई अपना प्रभाव देर से करती है मगर उसका कोई दुष्प्रभाव नही होता है। होम्योपैथिक के क्षेत्र में हरिद्वार के डॉक्टर जितेंद्र चंदेला का नाम ऊपर आता है जिनके पास उत्तराखंड के विभिन्न जिलों, उत्तर प्रदेश, हरियाणा तक के लोग अपना इलाज कराने आते हैं। बाद में जब उन्हें आराम लगता है तो वो अपनी दवाई डॉक्टर चंदेला से कोरियर द्वारा मंगवा लेते हैं। होम्योपैथी पद्धति में दवाई का कोर्स कुछ लम्बे समय तक चलता हैं मगर रोग को जड़ से समाप्त करती हैं। इन सभी डॉक्टर के अलावा अन्ये सभी डॉक्टर को एक बाए फिर " डॉक्टर डे"  की ढेरों शुभकामनाए।

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