HARIDWAR KI GUNJ

(अब्दुल सत्तार) हरिद्वार। भारत एक प्रजातांत्रिक देश है, यहाँ विभिन्न समुदायों के लोग सदियों से रहते चले आ रहे है, और यहाँ के अलग अलग समुदाय व उनके धर्म ही विश्व मे भारत की गरीमा इस बात से ही आलोकित है, लेकिन भारत इस सदियो पुरानी सभ्यता और परम्परा को कुछ लोग खत्म करने पर लग गये है, यही वही भारत है, जिससे विश्व मे सोने की चिडिय़ा के रूप मे जाना जाता था, हमारे देश भारत को स्वतंत्र कराने के लिए भारत के प्रत्येक समुदाय ने अपनी अपनी भूमिका का निर्वहन बडी ही बहादुरी और हिम्मत के साथ किया, भारतीय परिवारों ने अपने घरो के चिरागो को जिसमे बच्चे बडे औरत मर्द सब शामिल है, को मिटते देखा, मरते दिखा जलते देखा, फाँसी के फंदे पर झूलते देखा, सीनो पर गोलिये खाते देखा, भूख प्यास से लडते देखा, वृक्षो पर लासो को लटके देखा, फिर अपने भारत की आजादी को मिलते देखा, इतनी बडी कुर्बानियां देने के बाद भारत को स्वतन्त्रता मिली, लेकिन आज हमारा देश आजाद होने के बाद भी समाज मे शान्ति नही है, क्यो कुछ लोगो ने भारत के समुदायों मे आपसी जहर घोल दिया है, आजादी से पहले भी हमारे पूर्वज थे, आजादी मे भी हमारे पूर्वज थे, और आज भी हम अपने पूर्वजों की औलादें है, जब हमारे पूर्वजों ने मिलकर देश को आजादी दिलवाई उन्होने साम्प्रदायिकता को गले से नही लगाया तो हम इस ना सुलझने वाले बीमारी को गले क्यो लगाए फिर रहे है, हमे साम्प्रदायिक को छोडकर आपस मे प्यार मुहब्बत से रहना चाहिए, तथा किसी भी समुदाय के धार्मिक मामलो मे हस्तक्षेप नही करना चाहिए, किसी की भावनाओं को आहत नही करनी चाहिए, बस आपस मे प्यार से देश की तरक्की की ओर अग्रसर रहना चाहिए, तब जाकर ही देश का विकास सम्भव है।
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