HARIDWAR KI GUNJ
(अब्दुल सत्तार वरिष्ठ सम्पादक) हरिद्वार। स्वच्छ भारत साफ भारत का नारा केन्द्र सरकार के मुखिया द्वारा लगातार लगाया जा रहा है, नमामि गंगे योजना के नाम पर करोडो रूपया खर्च किया जा रहा है, एक विशेष समुदाय को बदनाम किया जाता रहा है, कि ये लोग पशुओं के अवशेष गंगा जी मे फेकते है, तो बताए क्या ये विशेष समुदाय ही ऐसा कर रहा है, या सभी समुदायों की इसमे भागेदारी है, जी हाँ सभी समुदायों की इसमे भागेदारी है, गंगा और अन्य नहरो को अस्वच्छ करने मे सभी समुदाय ने अपनी भागेदारी कर रखी है, आइए बताते है, किस तरह भागेदारी है, हरिद्वार ही मे ले ले ज्यादातर शौचालयों की सप्लाई गंगा जी मे है, गंगा जी मे यदि किसी की नही है, तो नालो मे है, और वो नाले कहाँ जाकर गिर रहे है, गंगा जी मे। कोई अपने घर की गंदगी गंगा मे डालता है, कोई नाले मे फिर कहूँगा नाला कहाँ गिर रहा है, गंगा जी मे। हरिद्वार की ज्यादातर दूध की डेयरी जिनमे दूधारू पशु है, उनके गोबर को कहाँ डाला जा रहा है, गंगा जी मे। क्या गंगा जी और अन्य नहरो को समाज के ज्यादातर लोग कुडेदान की नजर से देखते है, यदि ऐसा है, तो समाज को संभलना होगा, वरना गंगा जी ही नही हमारा अस्तित्व भी अस्तित्व खतरे मे पड जायेगा, जो लोग गंगा और अन्य नहरो को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे है, समाज की सभी लोगो को उनके समर्थन मे खडा होने की आवश्यकता है, बताए कि गंगा और नहरे केवल उन्ही लोगो की है, जो संघर्ष कर रहे या सम्पूर्ण समाज की है, अपने सोच को सही करके गंगा और अन्य नहरो को बचाने का प्रयास करने और उन लोगो का सहयोग करने जो इस कार्य के लिए संघर्षरत है, का सहयोग करने की आवश्यकता है, कल की घटना के बारे मे सभी को पता होगा, गंगा के एक सपूत को मित्र पुलिस ने कैसे बर्बरता से उठाकर ले गयी, क्या सच्चाई की आवाज उठाने वालो का यही हाल होगा। सोचने का विषय है।
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